हौज़ा न्यूज़ एजेंसी|
प्रश्न: यदि कोई व्यक्ति यह मानता है कि कोई कथन वास्तव में ईश्वर का कथन या पैगंबर (स) की हदीस नहीं है और वह इसे अल्लाह या पैगंबर (स) से संबंधित मानता है, तो क्या इससे उसका रोज़ा अमान्य हो जाएगा?
उत्तर: यदि कोई व्यक्ति इस बात पर निश्चित हो कि यह कथन ईश्वर और रसूल (स) की ओर से नहीं है और वह इसे उन पर आरोपित करता है, तो उसका रोज़ा बातिल हो जाएगा।
इस्तिफ़्ता: आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी सीस्तानी
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